शरीर के 7 चक्र : स्थान, रंग, कार्य, एक्टिवेट करने का तरीका

हमारे शरीर में अलग-अलग कार्यो के लिए अलग-अलग प्रकार की ऊर्जा का प्रवाह होता है। यह ऊर्जा शरीर के जिस स्थान पर सबसे अधिक होती है। उसे चक्र के द्वारा दर्शाया जाता है। हमारे शरीर में 7 प्रकार कि ऊर्जा होती है जिसे 7 चक्र के द्वारा दर्शाया जाता है। मैं आपको विस्तार से बताऊंगा कि शरीर के 7 चक्र : लोकेशन, रंग, कार्य, एक्टिवेट करने का तरीका क्या होता है।   

मतलब जो चक्र शरीर में जहां स्थित है उस स्थान पर उस चक्र की उर्जा सर्वाधिक होती है। प्रत्येक चक्र की ऊर्जा का अलग-अलग कार्य होता है।

Table of Contents

7 चक्रों के नाम

  1. सहस्त्रार चक्र (Crown chakra)
  2. आज्ञा चक्र (Third eye chakra)
  3. विशुद्धि चक्र (Throat chakra)
  4. हृदय चक्र (Heart chakra)
  5. मणिपुर चक्र (Sacral Chakra)
  6. स्वाधिष्ठान चक्र (Sacral chakra)
  7. मूलाधार चक्र (Root Chakra)

शरीर के 7 चक्र क्या होते हैं | 7 chakra in hindi

7 चक्र क्या होते हैं
शरीर में मौजूद 7 चक्र

यह सभी चक्र हमारी Personality तथा व्यवहार को कंट्रोल करते हैं। हमारे रिलेशनशिप, मानसिक और अध्यात्मिक आनंद के लिए उत्तरदायी होते हैं। आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए इन चक्रों का बैलेंस होना जरूरी होता है।

प्रत्येक चक्र में ऊर्जा का प्रवाह होता है। जो चक्र जाग्रत अथवा बैलेंस होता है उसमें ज्यादा ऊर्जा का प्रवाह होता है तथा जो चक्र बैलेंस नहीं होता उसमें कम ऊर्जा का प्रवाह होता है। शरीर में मौजूद किसी भी प्रकार मानसिक तथा शारीरिक समस्या को इन चक्रों को जाग्रत करके ठीक किया जा सकता है।

अगर कोई चक्र बैलेंस नहीं होता है तो उस चक्र से जुड़े शारीरिक अंगों में दिक्कत आनी शुरू हो जाती है। किस चक्र से कौनसा अंग जुड़ा होता है इसके बारे में मैं आपको विस्तार से बताऊंगा। चलिए अब जानते हैं कि 7 चक्र क्या होते हैं और कौन-सा चक्र किस कार्य के लिए उतरदायी है तथा हमारे शरीर में कहां स्थित होता है।

1. मूलाधार चक्र (Root Chakras)

root chakra
मूलाधार चक्र
नाम मूलाधार चक्र
रंग लाल
आकृति 4 पंखुड़ियों वाला कमल का फूल
स्थान रीड की हड्डी के सबसे निचले हिस्से पर
शारीरिक अंग जो मूलाधार चक्र से जुड़े होते हैंरीड की हड्डी का निचला हिस्सा, किडनी, पैर, घुटने, इम्यून सिस्टम, हड्डियों के जॉइंट आदि।

मूलाधार चक्र जाग्रत होने के फायदे  

  • व्यक्ति में जीवन जीने की इच्छा होती है।
  • व्यक्ति वर्तमान में जीवन जीता है।
  • धरती से लगाव होता है जैसे खेती करना, बागबानी करना आदि।
  • संसार में सुरक्षित महसूस करता है।
  • दिमाग स्थिर होता है।
  • व्यक्ति में साहस होता है।
  • व्यक्ति सेहतमंद तथा फुर्तीला होता है।
  • लोगों पर भरोसा करने वाला।
  • व्यक्ति हिम्मतवाला तथा प्रैक्टिकल व्यक्तिव वाला होता है।
  • निर्णय लेकर उन पर टिके रहने की क्षमता पैदा होती है। 

मूलाधार चक्र जाग्रत नहीं होगा तो निम्न परेशानियां आएंगी

1. मानसिक तथा भावनात्मक समस्याएं

  • मरने की इच्छा होना
  • आत्महत्या करने के विचार आना
  • मन में हमेशा डर रहना
  • घबराहट होना
  • किसी पर विश्वास न करना
  • साहस की कमी
  • शरीर कमजोर होना
  • नेगेटिव विचार आना
  • गंदी सोच होना
  • तनावग्रस्त, क्रोध आना और अपराध बोध होना

2. शारीरिक समस्याएं

  • खून की कमी
  • थकावट. कमजोरी, दुबला पतला शरीर होना  
  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना 
  • सर्दी लगना, हाथ पैर ठंडे रहना    

3. मूलाधार चक्र से जुड़े शारीरिक अंग

रीड की हड्डी का निचला हिस्सा, किडनी, पैर, घुटने, इम्यून सिस्टम, हड्डियों के जॉइंट आदि।

नोट : अगर आपको इनमे से किसी भी अंग में कोई समस्या है तो समझ जाए कि आपका मूलाधार चक्र बैलेंस नहीं है। इसलिए इन समस्यओं से छुटकारा पाने के लिए आपको अपने मूलाधार चक्र को बैलेंस करना चाहिए।

पढ़े : मूलाधार चक्र को जाग्रत कैसे करें

2. स्वाधिष्ठान चक्र (Sacral chakra)

sacral chakra
स्वाधिष्ठान चक्र
नाम स्वाधिष्ठान चक्र
रंग ऑरेंज
आकृति 6 पंखुड़ियों वाला कमल का फूल
स्थान नाभि के 2 इंच नीचे
शारीरिक अंग जो स्वाधिष्ठान चक्र से जुड़े होते हैंसेक्सुअल ऑर्गन, लिवर, किडनी, पेनक्रियाज, एड्रिनल ग्रंथि, रीड की हड्डी का मध्य हिस्सा आदि।

स्वाधिष्ठान चक्र जाग्रत होने के फायदे  

  • शरीर में अच्छी फीलिंग होगी तथा इमोशन अच्छे होंगे
  • लोगों के पास बैठना अच्छा लगेगा
  • आत्मविश्वास अच्छा होगा
  • समाज में मिलजुल कर रह पाएंगे
  • आपके अंदर फ्रीडम तथा क्रिएटिविटी होगी
  • जीवन में कुछ करने का जुनून होगा
  • जीवन में नयेपन की चाहत होगी
  • लोगों से अलग दिखने की चाहत होगी
  • खान-पान तथा वस्त्रों में रुचि होगी
  • अपनी रूचि के अनुसार कार्य करने में मन लगेगा

स्वाधिष्ठान चक्र imbalance होने पर होने वाली समस्याएं

1. शारीरिक समस्याएं

  • पेशाब से संबंधित समस्याएं
  • निसंतानता, शुक्राणु का कम होना   
  • नशा करने का मन करना, ड्रग्स लेना
  • एलर्जी की समस्या होना
  • अस्थमा की समस्या  
  • खाने से संबंधित समस्याएं

2. मानसिक तथा भावनात्मक समस्याएं

  • चिंता करना, तनावग्रस्त होना
  • खुद के प्रति नफरत तथा घृणा पैदा होना
  • नेगेटिव थिंकिंग होना
  • आपके अंदर की क्रिएटिविटी खत्म हो जाना
  • जीवन में कुछ नया सर्जन नहीं कर पाएंगे जिससे आपको खुद के प्रति घृणा होने लगेगी
  • सेक्सुअलिटी से संबंधित विचार आना

3. शारीरिक अंग जो स्वाधिष्ठान चक्र से जुड़े होते हैं

सेक्सुअल ऑर्गन, लिवर, किडनी, पेनक्रियाज, एड्रिनल ग्रंथि, रीड की हड्डी का मध्य हिस्सा आदि।

नोट : अगर आपका जीवन में कोई लक्ष्य नही है तथा काम करने में मन नही लगता तो आपको अपने स्वाधिष्ठान चक्र को बैलेंस करना चाहिए।

पढ़े : स्वाधिष्ठान चक्र को जाग्रत कैसे करें

3. मणिपुर चक्र (Solar plexus)

solar chakra
मणिपुर चक्र
नाममणिपुर चक्र
रंगपीला Yellow
आकृति10 पंखुड़ियों वाला पीला कमल का फूल
स्थाननाभि से 2 इंच ऊपर
प्रतीकधन सम्पदा का प्रतीक (सूर्य देव का प्रतीक)
मणिपुर चक्र से जुड़े शारीरिक अंगऊपरी पेट का हिस्सा, लिवर, ब्लैडर, रीड की हड्डी का मध्य हिस्सा, प्लीहा, किडनी, छोटी आंत आदि।    

मणिपुर चक्र जाग्रत होने के फायदे  

  • जीवन में उच्च पद की प्राप्ति
  • यश और धन की प्राप्ति
  • दृढ़ निश्चयी होना तथा ज्ञान की प्राप्ति होना
  • हंसी मजाक वाला स्वभाव होना
  • कॉमन सेंस होना
  • खुद पर आत्म नियंत्रण होना
  • जिज्ञासु होना
  • अवेयरनेस और आत्म सम्मान बढ़ना

मणिपुर चक्र imbalance होने पर होने वाली समस्याएं

1. शारीरिक समस्याएं

  • शुगर की समस्या
  • दस्त लगना
  • खाना ठीक से ना पचना
  • हेपेटाइटिस की समस्या
  • पेट से संबंधित सभी प्रकार की समस्याएं

2. मानसिक तथा भावनात्मक समस्याएं

  • व्यक्तियों के सामने नर्वस हो जाना  
  • खुद के व्यक्तित्व के छोटेपन का एहसास होना
  • बुरी संगत में पड़ना
  • याददाश्त कमजोर होना
  • आत्म सम्मान में कमी होना
  • खुद के असफल हो जाने का डर होना
  • लोगों से मिलने से डर लगना
  • खुद की बुराई के प्रति सेंसिटिव होना
  • खुद की इमेज खो देने का डर रहना

3. मणिपुर चक्र से जुड़े शारीरिक अंग

उपरी पेट का हिस्सा, लीवर, ब्लैडर, रीड की हड्डी का मध्य हिस्सा, प्लीहा, किडनी, छोटी आंत आदि।

नोट : अगर आपको जीवन में मान सम्मान, इज्जत और धन कमाना हो तो आपको अपने मणिपुर चक्र को जरुर बैलेंस करना चाहिए।

4. अनाहत चक्र, हृदय चक्र (Anahat Chakras)

heart chakra
हृदय चक्र
नाम हृदय चक्र
रंग हरा
आकृति 12 पंखुड़ियों वाला कमल का फूल
स्थान छाती के मध्य हिस्से में (हृदय के पास)
शारीरिक अंग जो हृदय चक्र से जुड़े होते हैंहृदय, ब्लड सरकुलेशन सिस्टम, खून, फेफड़े, डायफ्राम, थायमस, ब्रेस्ट, कंधे, हाथ, भुजाये आदि।

हृदय चक्र जाग्रत होने के फायदे  

  • परिवार तथा रिश्तेदारों के साथ रिलेशन अच्छे होंगे
  • दूसरे लोगों के प्रति प्रेमभाव होगा
  • जो व्यक्ति जैसा है उसे उसी रूप में स्वीकार करेंगे
  • खुद को काबू में रख पाएंगे
  • आपका स्वभाव दयालु होगा
  • आपके अंदर विचारों का बैलेंस होगा
  • आप मान शांत होगा
  • व्यक्ति में एकता तथा सेवा करने की भावना होगी

हृदय चक्र imbalance होगा तो होने वाली समस्याएं

1. शारीरिक समस्यायें

  • दिल से संबंधित बीमारियां
  • अस्थमा, सांस लेने की समस्या
  • फेफड़ों से संबंधित समस्या
  • ब्रेस्ट कैंसर
  • उपरी कमर तथा कंधों में दर्द की समस्या

2. मानसिक तथा भावनात्मक समस्याएं

  • प्रेम की कमी होना
  • कॉन्फिडेंस की कमी होना
  • मोटिवेशन की कमी
  • जीवन में आशा की कमी
  • लोगों के प्रति नफरत और घृणा का भाव पैदा होना
  • लोगों पर गुस्सा होना
  • उदारता की कमी होना

3. हृदय चक्र से जुड़े शारीरिक अंग

हृदय, ब्लड सरकुलेशन सिस्टम, खून, फेफड़े, डायफ्राम, थायमस, ब्रेस्ट, कंधे, हाथ, भुजाये आदि।

नोट : अगर आपको अपने अंदर प्रकृति से लगाव तथा लोगों के प्रति दया भावना पैदा करना है तो आपको अपने हृदय चक्र को बैलेंस करना चाहिए।

5. विशुद्धि चक्र (Throat Chakras)

throat chakra
विशुद्धि चक्र
नाम विशुद्धि चक्र
रंग नीला
आकृति 16 पंखुड़ियों वाला कमल का फूल
स्थान गले के पीछे
शारीरिक अंग जो विशुद्धि चक्र से जुड़े होते हैंगला, थायराइड, मुख, पैराथायराइड, दांत, जीभ आदि

विशुद्ध चक्र के जाग्रत होने के फायदे  

  • जिस व्यक्ति का यह चक्र बैलेंस होता है उस व्यक्ति की कम्युनिकेशन स्किल अच्छी होती है
  • लोग उसकी बात को ध्यान से सुनते हैं
  • इसे व्यक्ति कि वाणी में मिठास होता है
  • लोगों के सामने अपनी बात को कहने की हिम्मत आती है
  • लोग उसकी बात पर विश्वास करते हैं
  • व्यक्ति में गायन तथा भाषण की प्रतिभा होती है
  • व्यक्ति बिना डरे अपनी बात को कह पाता है

विशुद्धि चक्र के imbalance होने पर आने वाली समस्याएं

1. शारीरिक समस्याएं

  • गले से संबंधित समस्याएं
  • थायराइड की समस्या
  • जीभ से संबंधित समस्या
  • दांतों की समस्या
  • आवाज से संबंधित
  • समस्या गले में खराश
  • मुख् में अल्सर आदि

2. मानसिक तथा भावनात्मक समस्याएं

  • व्यक्ति ठीक से अपने आप को एक्सप्रेस नहीं कर पाता
  • क्रिएटिविटी कम हो जाती है
  • व्यक्ति कम बोलना पसंद करता हैं
  • व्यक्ति लोगों की आलोचना करना शुरू कर देता हैं
  • हमेशा नेगेटिव बातें ही बोलता हैं
  • लोग आपकी बातों पर विश्वास नहीं करते
  • निर्णय लेने की क्षमता में कमी हो जाती है

3. विशुद्धि चक्र से जुड़े शारीरिक अंग

गला, थायराइड, मुख, पैराथायराइड, दांत, जीभ आदि

नोट : अगर आप अपनी कम्युनिकेशन स्किल सुधारना चाहते है तथा अच्छा वक्ता बनना चाहते हैं तो आपको अपने विशुद्धि चक्र को बैलेंस करना चाहिए।

6. अजना चक्र, आज्ञा चक्र (Ajna Chakras)

Ajna Chakra
आज्ञा चक्र

आज्ञा चक्र का रंग – Indigo, Midnight blue

शरीर में कहां स्थित होता है – दोनों आंखों की भोहों के मध्य में

नाम आज्ञा चक्र
रंग Indigo, Midnight blue
आकृति 2 या 96 पंखुड़ियों वाला कमल का फूल
स्थान दोनों आंखों की भोहों के मध्य में
शारीरिक अंग जो आज्ञा चक्र से जुड़े होते हैंदिमाग, न्यूरोलॉजिकल सिस्टम, आंख, कान, नाक, पिट्यूटरी ग्रंथि आदि।  

आज्ञा चक्र जाग्रत होने के फायदे  

  • जिस व्यक्ति का आज्ञा चक्र बैलेंस होता है उसे भविष्य का पूर्वाभास होने लगता है।
  • व्यक्ति में नए-नए आविष्कार करने की क्षमता पैदा होती है।
  • लोगों को देखकर उनके अंदर का भाव जानने की क्षमता पैदा होती है।
  • दूर बैठे अपने सगे संबंधी से बिना फ़ोन किए विचारों का आदान प्रदान कर पाने की क्षमता पैदा होती है जिसे टेलीपैथी कहते हैं।
  • लोगों का दिमाग पढ़ने की क्षमता विकसित होती है।
  • मन हमेशा आनंदित रहता है।

आज्ञा चक्र के imbalance होने पर आने वाली समस्याएं

1. शारीरिक समस्याएं

  • अंधा होना
  • सिर दर्द, माइग्रेन
  • आंखों से संबंधित समस्या
  • कानों से संबंधित समस्या, कानों में दर्द
  • रात में डरावने सपने आना
  • सही नींद ना आना
  • दिमाग ठीक से काम न करना, यादाश्त कमजोर होना
  • तनावग्रस्त होना

2. मानसिक तथा भावनात्मक समस्याएं

  • सच बोलने से डर लगना
  • निर्णय नहीं ले पाना
  • भावनात्मक रूप से कमजोर होना
  • दिमाग में हमेशा कंफ्यूजन रहना
  • डिसिप्लिन में नहीं रहना
  • समय का पाबंद नहीं होना आदि
  • बात-बात पर इमोशनल हो जाना जैसे किसी मूवी को देखते हुए कुछ लोग इमोशनल हो जाते हैं।

3. आज्ञा चक्र से जुड़े शारीरिक अंग

दिमाग, न्यूरोलॉजिकल सिस्टम, आंख, कान, नाक, पिट्यूटरी ग्रंथि आदि।  

नोट : अगर आपको व्यापार में सफल होना है, लोगों को समझने की कला सीखना चाहते है, सही और जल्दी निर्णय लेने की क्षमता विकसित करना चाहते है तथा अगर आप दिमागी तौर पर अपने आप को मजबूत बनाना चाहते हैं तो अपने आज्ञा चक्र को बैलेंस जरूर करना चाहिए।

7. सहस्त्रार चक्र (Crown Chakras)

crown chakra
सहस्त्रार चक्र
नामक्राउन चक्र, ब्रह्म रंद्र, सहस्रार चक्र
रंगगोल्डन बैंगनी
आकृति1000 पंखुड़ियों वाला फूल
स्थानसिर के सबसे ऊपरी हिस्से में (चोटी में)
कार्यव्यक्ति को भगवान से जोड़ने का कार्य   

सहस्त्रार चक्र के जाग्रत होने के फायदे  

  • सहस्त्रार चक्र परमात्मा और यूनिवर्स से जुड़ा हुआ चक्र है।
  • इस चक्र के द्वारा व्यक्ति को परमात्मा से दिशा निर्देश मिलते हैं।
  • यूनिवर्स के द्वारा व्यक्ति को जीवन ऊर्जा इसी चक्र के द्वारा मिलती है।
  • अपने जीवन के लक्ष्य का ज्ञान होता है।
  • इंसान में त्याग की भावना उत्पन्न होती है।
  • व्यक्ति को आत्मानुभूति और ईश्वर की अनुभूति का एहसास होता है।

सहस्त्रार चक्र imbalance होने पर आने वाली समस्याएं

1. शारीरिक समस्याएं

  • दिमाग से संबंधित समस्याएं
  • स्केल्टन (खोपड़ी) से संबंधित समस्या
  • त्वचा से संबंधित समस्या
  • ट्यूमर जैसी बीमारी होना

2. मानसिक तथा भावनात्मक समस्यायें  

  • जीवन में लक्ष्य की कमी होना
  • खुद के अस्तित्व का पता ना होना
  • स्वार्थी होना
  • भविष्य के बारे में योजना बनाने में असमर्थ  
  • ईश्वर में विश्वास ना होना

3. सहस्त्रार चक्र से जुड़े शारीरिक अंग

दिमाग का ऊपरी हिस्सा, सेरेब्रल, कोरटेक्स, सेरीब्रम, पिट्यूटरी ग्रंथि, सिर के बाल आदि।

नोट : अगर आप परमात्मा के साथ अपना कनेक्शन बनाना चाहते हैं और ब्रह्मांड की ऊर्जा को अपने अंदर समाहित करना चाहते हैं तो आपको अपने सहस्त्रार चक्र को बैलेंस करना चाहिए।

अगर आपको बालों से संबंधित कोई समस्या है तो आप इसे सहस्त्रार चक्र को ठीक करके कर सकते है।   

पढ़े : सहस्रार चक्र को कैसे जाग्रत करें

निष्कर्ष

तो आपने जाना कि 7 चक्र क्या होते है और Seven chakras को जाग्रत करके आप किसी भी प्रकार की मानसिक और शारीरिक समस्या से छुटकारा पा सकते है।

अलग-अलग चक्र का अलग-अलग कार्य होता है। सबसे पहले आपको यह पता करना होगा कि आपका कौनसा चक imbalance है। इसका पता इस बात से लगा सकते है कि आपको कौन सी समस्या है।  

मैंने आपको 7 चक्र क्या होते है तथा सभी चक्र बैलेंस करने के तरीकों के बारे में भी बताया है।   

7 चक्रों को बैलेंस करने के लिए आपको मैडिटेशन कैसे पड़ेगा इसके लिए आपको मैडिटेशन कैसे करते है यह पता होना चाहिए

मूलाधार चक्र : लोकेशन, हीलिंग, मुद्रा, मैडिटेशन, जाग्रत करने का तरीका

स्वाधिष्ठान चक्र : लोकेशन, हीलिंग, मुद्रा, मैडिटेशन, बैलेंस करने का तरीका

मणिपुर चक्र : लोकेशन, रंग, कार्य, जाग्रत कैसे करें

क्राउन चक्र : लोकेशन, कार्य, रंग, जाग्रत कैसे करें

आज्ञा चक्र : लोकेशन, मैडिटेशन, रंग, कार्य, जाग्रत करने के तरीके

5 वर्षो के मैडिटेशन के मेरे अनुभव

अपने दिमाग को कण्ट्रोल करने के 10 तरीके

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7 thoughts on “शरीर के 7 चक्र : स्थान, रंग, कार्य, एक्टिवेट करने का तरीका

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    Mein apna vishuddh chakra jagrat karna chahta hoon, kya uske baare mein or adhik jaankari pradan karen

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    Ap hme please ye btaye ki .. man lo hmara koi bhi chakra (sacral chakra ) jagrat h or uska upay ( affirmation, mantra, or accequepressure) kr lia to kya uska koi body pr side effect ho skta h
    Or agr apka koi youtube channel ho to please provide me link or channel name

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      koi side effect nhi hoga thank you

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    Chakra balancing mediation kaise kare

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      Kautik Bhangare : Meditation karne ke tarike isi article me bataye gye hai

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    Hame oata kaise chalega ki hamare chakras jagrat ho rahe hai ya nahi plz btaye ap

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      Iske bare me jaldi hi naya article likhunga ok

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