मैडिटेशन के अनुभव तथा लाभ
क्या मैडिटेशन के दौरान आकाश, तारे तथा सूर्य भी दिखाई देते है अगर दिखाई देते है तो क्यों? प्रत्येक व्यक्ति के मैडिटेशन के अनुभव अलग-अलग होते हैं
किसी दूसरे व्यक्ति के अनुभव को जानकर आप यह न सोचें कि आपके साथ भी यही होगा ऐसा जरूरी नहीं है और जब आपके साथ ऐसा नहीं होता है जैसा आप सोचते हैं तो फिर आपको लगने लगता है कि अब आपको मैडिटेशन से कोई फायदा नहीं हो रहा है
मैडिटेशन के दौरान क्या-क्या दिखाई देता है इसके बारे में भी हम बात करेंगे लेकिन पहले मैं आपको मेरे मैडिटेशन के अनुभव के बारे में बताता हूँ

Table of Contents
मैडिटेशन के अनुभव | Meditation ke anubhav
मुझे मैडिटेशन करते हुए काफी समय हो गया है आज मैं आपको सुनी-सुनाई नहीं बल्कि अपने खुद के अनुभव शेयर करूंगा
1. सांसो की गति धीमी होना
मैडिटेशन के दौरान जब ध्यान एक बिंदु पर लगता है तो सांसों की रफ्तार धीमी हो जाती है
छोटे-छोटे तथा हल्के-हल्के साँस चलने लगते है ध्यान लगने की स्थिति में हम चाहकर भी गहरी तथा लंबी सांस नहीं ले सकते
जब ध्यान लगता है तो शरीर की सभी क्रियाएं धीरे-धीरे मंद पड़ने लगती हैं उसमें सांसो की रफ्तार का धीमा पड़ना भी एक है
2. विचार शून्यता
जब ध्यान लगता है तो दिमाग/मन में आने वाले विचारों की रफ्तार धीमी हो जाती है
अगर पहले 100 विचार आते थे तो ध्यान लगने पर केवल 10 या उससे भी कम विचार आते हैं मन इधर-उधर नहीं भागता है
विचार शून्यता में एक अजीब सी शांति तथा ख़ुशी का एहसास होता है
विचार शून्यता की स्थिति में दिमाग में से कट-कट की आवाज आती है दिमाग में होने वाली प्रत्येक हलचल महसूस होती है
क्या आप मैडिटेशन के दौरान अपने विचारों को कण्ट्रोल नहीं कर पा रहे है तो आपको अपने अपने विचारों को कण्ट्रोल करने कि तकनीक के बारे में पता होना चाहिए
3. आँखों का चिपकना
जब ध्यान थोड़ा गहरा होता जाता है तो आंखे आपस में चिपकने लगती हैं
ऐसा लगता है जैसे आंखों पर किसी ने पट्टी बांधी हो और चाह कर भी आंखें नहीं खोल पा रहे हैं
आंखें बंद होने के साथ-साथ बोहे (eyebrow) ऊपर की ओर तन जाती हैं

4. शारीरिक बदलाव
ध्यान जब और गहरा होने लगता है तब शरीर महसूस नहीं होता है
पूरे शरीर की चेतना उस बिंदु पर ही टिक जाती है जहाँ पर ध्यान लगाते है पूरे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह महसूस होता है जैसे कोई शक्ति हमारे अंदर प्रवेश कर रही है
पैर सुन्न पड़ने लगते हैं ऐसा लगता है जैसे पैर सो गए हो पैर सुन्न पड़ने के बाद कमर, पेट, हाथ आदि भी धीरे-धीरे सुन्न पड़ने लगते हैं अंत में पूरी बॉडी सुन्न पड़ जाती है और शरीर महसूस भी नहीं होता है
शरीर के अंगों में अजीब सी हलचल होने लगती है अपने आप कभी हाथ मिलते हैं तो कभी पैर
5. तेज प्रकाश दिखाई देना
ध्यान की अवस्था में कभी-कभी आंखो के सामने तेज प्रकाश भी दिखाई देता है यह तेज प्रकाश रोज नहीं दिखाई देता लेकिन कभी-कभी दिखाई देता है
जब तेज प्रकाश दिखाई देता है तो मन में अपार प्रसन्ता का एहसास होता है मन करता है कि इस ध्यान मुद्रा से कभी ना उठे
अगर मैडिटेशन के दौरान आपको ऐसे अनुभव नहीं हो रहे है तो हो सकता है कि मैडिटेशन में बैठने का आपका तरीका गलत हो
पढ़े : मैडिटेशन में बैठने के 7 नियम
6. ध्यान के बाद के एहसास
ध्यान के अनुभव सिर्फ ध्यान के दौरान ही नहीं कभी कभी ध्यान के बाद भी होते हैं
जैसे कभी-कभी बिगड़ा हुआ काम भी बन जाता है जिसकी कल्पना भी नहीं की होती है
जीवन में सभी कार्य सफलतापूर्वक होने लगते हैं जिस काम को हाथ लगाते हैं वही सफल हो जाता है घर परिवार में खुशहाली का माहौल रहता है
7. मैडिटेशन के विचित्र अनुभव तथा लाभ
ध्यान में हमेशा एक जैसे अनुभव नहीं होते हैं कभी-कभी उन सब घटनाओं का भी एहसास होता है जो भविष्य में घटित होने वाली होती हैं
जब वह घटना भविष्य में घटित होती हैं तो फिर दिमाग में ख्याल आता है कि मैंने भी ठीक है ऐसा ही सोचा था
ध्यान हमेशा एक जैसा नहीं लगता है कभी-कभी तो कई कई दिनों तक भी ध्यान नहीं लगता है
कुछ लोगों को मैडिटेशन के दौरान आकाश, तारे तथा सूर्य भी दिखाई देते है लेकिन ऐसा बहुत कम लोगो के साथ होता है ऐसा तब होता है जब व्यक्ति मैडिटेशन में काफी ऊंची स्टेज पर पहुंच जाता है
निष्कर्ष
तो यह थे मेरे मैडिटेशन के अनुभव मैडिटेशन के द्वारा हम हमारे मन तथा आत्मा के करीब आ जाते हैं हमारा मन भूतकाल तथा भविष्यत काल की सारी बातें जानता है लेकिन हम उससे काफी दूर हो जाते हैं इसलिए चाह कर भी उसकी बात सुन नहीं पाते केवल मैडिटेशन ही वह तरीका है जिससे हम अपने अंदर की आवाज सुन सकते हैं अपने अंतरात्मा के करीब जा सकते हैं
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Very nice article