पांडवो की जन्म कथा

हस्तिनापुर के राजा पांडू के दो पत्नियां कुंती और माद्री थी। राजा पांडू ने गलती से एक ऋषि के प्राण ले लिए थे जिस कारण उन्होंने पांडू को श्राप दिया कि जब भी तुम किसी स्त्री के करीब जाओगे उसी वक्त तुम्हारे प्राण निकल जायेंगे।

इस श्राप के पश्चताप के कारण ही राजा पांडू ने सन्यास ग्रहण कर लिया और अपनी पत्नियों के साथ जंगल में रहने के लिए चले गये।

अब पांडू के सामने सबसे बड़ी समस्या यह थी कि वह अपने वंश को आगे कैसे बढ़ाये? तब उन्होंने ऋषि द्वारा दिए गये श्राप की बात अपनी पत्नियों को बताई। इस बात में पांडू की पत्नियों ने भी उनका साथ दिया और कुंती ने कहा कि मुझे ऋषि “दुर्वासा” ने मुझे एक ऐसा मंत्र बताया था जिसके द्वारा मैं किसी भी देवता को पृथ्वी पर बुला सकती हूँ और उनसे जो चाहे वह मांग सकती हूँ।

उसके बाद कुंती ने सबसे पहले धर्म के देवता यम का आह्वान किया जिससे उन्होंने युधिष्ठिर को जन्म दिया। उसके बाद पवन देव से भीम और इंद्र देव से अर्जुन नामक दो पुत्रों का जन्म हुआ।

लेकिन अभी भी पांडू कि दूसरी पत्नी माद्री के कोई पुत्र नही था। तब कुंती ने माद्री को भी वही मंत्र सिखा दिया और माद्री ने अश्विनी कुमारों को बुलाया और उसे नकुल और सहदेव पुत्र के रुप में प्राप्त हुए।

तो यह थी पांच पांडवो की जन्म कथा और देवताओ की तरह सभी पांडव भी काफी शक्तिशाली थे। पांचो पांडवो के नाम युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव  

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