प्रथम विश्व युद्ध : कारण व परिणाम (पूरी कहानी)
प्रथम विश्व युद्ध से पहले दुनिया में इतनी बड़ी लड़ाई कभी नही हुई थी इसलिए कहा जाता था कि इस युद्ध के बाद सबकुछ खत्म हो जायेगा अर्थात इसे “सभी युद्धों को खत्म करने वाला युद्ध” बताया गया था। लोगो को लगता था कि इस युद्ध के बाद आगे आने वाले 100 सालो तक कोई युद्ध नही होगा प्रथम विश्व युद्ध को द ग्रेट वॉर, ग्लोबल वॉर के नाम से भी जाना जाता है।
प्रथम विश्व युद्ध में लगभग 37 देशों ने भाग लिया था इस युद्ध के समय भारत अंग्रेजो (इंग्लैंड) का गुलाम था। इसलिए भारत के सैनिको ने इंग्लैंड की तरफ से युद्ध किया था। अंग्रेजो ने कहा था कि अगर भारतीय सैनिक इस युद्ध में इंग्लैंड का साथ देते है तो वो भारत को आजाद कर देंगे लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया।
मैं आपको प्रथम विश्व युद्ध के बारे में सारी जानकारी विस्तार से बताऊंगा। जैसे प्रथम विश्व युद्ध होने के पीछे क्या कारण थे?, प्रथम विश्व युद्ध में कौनसे दो गुट थे?, प्रथम विश्व युद्ध के परिणाम क्या रहे? आदि।
नोट : इस आर्टिकल में आपको प्रथम विश्व युद्ध के बारे में पूरी जानकारी आसान तरीके से बताई गई है इसलिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।
Table of Contents
प्रथम विश्व युद्ध का सारांश
सवाल | जवाब |
समय | 28 जुलाई 1914 से 11 नवम्बर 1918 |
युद्ध का स्थान | यूरोप, एशिया और अफ्रीका महाद्वीप |
युद्ध का माध्यम | थल सेना, वायु सेना और जल सेना के बीच |
कुल देश | लगभग 37 |
कुल सैनिक | लगभग 6 करोड़ 50 लाख |
मित्र राष्ट्र | सर्बिया, रूस, फ्रांस, इंग्लैंड, बेल्जियम, अमेरिका, जापान आदि |
धुरी राष्ट्र | ऑस्ट्रिया-हंगरी, जर्मनी, इटली(1915 में शामिल) |
प्रथम विश्व युद्ध लगभग 4 साल 3 महीने और 11 दिन तक चला। इसमें लगभग 6 करोड़ 50 लाख सैनिको ने भाग लिया जिसमे 1 करोड़ सैनिक शहीद हुए, 70 लाख आम नागरिक मारे गये और 2 करोड़ लोग घायल हुए।
प्रथम विश्व युद्ध के बारे में विस्तार से जानकारी बताने से पहले मैं आपको इस युद्ध के बारे में संक्षेप में बता देता हूँ। उसके बाद युद्ध के कारण और परिणाम के बारे में जानेंगे।
प्रथम विश्व युद्ध : संक्षेप में जानकारी
प्रथम विश्व युद्ध दो देशों (ऑस्ट्रिया-हंगरी और सर्बिया) के मध्य आपस में छोटी सी लड़ाई से शुरू हुआ था। इसके बाद दोनों अपने मित्र देशों से सहायता मागंते है और एक के बाद एक करके बहुत सारे देश इस लड़ाई में शामिल हो जाते है और यह छोटी सी लड़ाई विश्व युद्ध में बदल जाती है।
प्रथम विश्व युद्ध जर्मनी के कारण शुरू होता है और इस युद्ध में जर्मनी की हार होती है। जिस कारण युद्ध खत्म होने के बाद उस पर बहुत सारे प्रतिबन्ध लगा दिए जाते है।
प्रथम विश्व युद्ध शुरू होने के कारण
प्रथम विश्व युद्ध एक दिन में शुरू नही हुआ था। 1870 से 1914 के बीच बहुत सारी घटनाये घटित हुई जो आगे चलकर प्रथम विश्व युद्ध शुरू होने का कारण बनी इन सभी कारणों से यूरोप के सभी देशों में एक दूसरे के प्रति नफरत पैदा हो गई थी।
- औद्योगिक विकास
- सैन्य शक्ति का विकास
- देश भक्ति की भावना
- फ्रांस और जर्मनी की शत्रुता
- देशों के बीच गुप्त संधियां
- ऑस्ट्रिया-हंगरी के राजकुमार की हत्या
1. औद्योगिक विकास
19 वीं सदी के मध्य से ही दुनिया में औद्योगिक क्रांति शुरू हो गयी थी। प्रत्येक देश अपने देश में उद्योग शुरू करने के लिए बड़े-बड़े कारखाने लगाना चाहता था। सभी देश इस बात पर विचार कर रहे थे कि वो उद्योगों के लिए कच्चा माल कहाँ से लायेंगे और फिर अपना सामान कहाँ बेचेंगे।
यूरोप महादीप के सभी देश अफ्रीका महाद्वीप के बाजार पर अपना कब्ज़ा करना चाहते थे। इस होड़ में सभी यूरोपीय देशों के बीच तनाव बढ़ गया और देशों में गुटबाजी भी शुरू हो गई।
2. सैन्य शक्ति का विकास
यूरोप के सभी देश अपनी ताकत बढ़ाने में लगे हुए थे क्योंकि उद्योगों के विकास के कारण उनके पास अब बहुत सारा पैसा हो गया था और चारों तरफ अपना वर्चस्व फ़ैलाने के लिए वो अपनी सैन्य शक्ति का विकास कर रहे थे।
यूरोप महाद्वीप में इंग्लैंड और जर्मनी इस दौड़ में सबसे आगे थे। उन्होंने नये-नये हथियारों का आविष्कार कर लिया था। युद्ध के लिए बड़े-बड़े टैंक, मिसाइल, गोला बारूद, बड़े-बड़े समुंद्री जहाज बना लिए थे। अपनी सैन्य शक्ति बढ़ने के कारण जर्मनी ताकत के नशे में चूर हो गया और हमेशा दूसरे देशों को कुचल के सोचता रहता था।
3. देश भक्ति की भावना
औधोगिक विकास और सैन्य शक्ति के विकास के लिए सभी देशों में होड़ लगी हुई थी। इस कारण सभी देशों के लोगो में देश भक्ति की भावना ने जन्म ले लिया। प्रत्येक व्यक्ति अपने देश को आगे बढ़ता हुआ देखना चाहता था। अपने देश को आगे बढ़ाने के लिए वे किसी भी कीमत को चुकाने के लिए तैयार थे।
लोगो के दिलो में देश भक्ति की भावना पैदा होने के कारण दूसरे देशों के प्रति नफरत की भावना पैदा हो गई। इसी नफरत की भावना ने प्रथम विश्व युद्ध को चिंगारी प्रदान की।
4. फ्रांस और जर्मनी की शत्रुता
फ्रांस और जर्मनी के बीच पुरानी शत्रुता थी। यह शत्रुता भी प्रथम विश्व युद्ध शुरू करने के लिए काफी जिम्मेदार थी। दोनों देश एक दूसरे को दुश्मन मानते थे। एक दूसरे को हमेशा नीचे दिखाने की कोशिश करते रहते थे।
5. देशों के बीच गुप्त संधियां
जब चारों तरफ नफरत का माहोल पैदा हो रहा था तब सभी देश अपने मित्र देशों के साथ गुप्त संधियां करने में लगे हुए थे। ये संधियां इसलिए की गई थी ताकि युद्ध की स्थिति में एक दूसरे का साथ दे सके और युद्ध जीत सके।
1882 का ट्रिपल एलायन्स : साल 1882 में जर्मनी, आस्ट्रिया-हंगरी और इटली के बीच संधि हुई थी।
1907 का ट्रिपल एंटेंटे : साल 1904 में सिर्फ इंग्लैंड और रूस के बीच संधि हुई थी। जिसे “कोर्दिअल एंटेंटे” नाम दिया गया जिसमे बाद में 1907 में फ्रांस भी शामिल हो जाता है और इस संधि को “ट्रिपल एंटेंटे” नाम दिया गया। “एंटेंटे” का मतलब होता है दो देशों के बीच राजनीतिक मित्रता।
6. ऑस्ट्रिया-हंगरी के राजकुमार की हत्या
प्रथम विश्व युद्ध शुरू होने के लिए बस एक चिंगारी की आवश्यकता थी और ऑस्ट्रिया-हंगरी के राजकुमार की हत्या ने उस चिंगारी का काम किया। ऑस्ट्रिया-हंगरी के राजकुमार की हत्या सर्बिया देश के “सेराजेवो” नामक शहर में हुई थी। इस कारण दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया और अंत में उसने विश्व युद्ध का रूप ले लिया।
प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत
प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत ऑस्ट्रिया-हंगरी और सर्बिया के मध्य एक लड़ाई से हुई थी। ऑस्ट्रिया-हंगरी, सर्बिया से ताकतवर देश था इसलिए उसने सर्बिया के बोस्निया इलाके पर हमला करके अपना कब्ज़ा कर लिया।
उस वक्त ऑस्ट्रिया-हंगरी के शासक फ्रेंच जोसेफ थे और फ्रांसिस फ्रर्डीनेंड नामक व्यक्ति उनके उत्तराधिकारी थे। कुछ समय बाद फ्रांसिस फ्रर्डीनेंड सर्बिया के उस स्थान पर जाने का प्रोग्राम बनाते है जो उन्होंने सर्बिया से जीता था।
28 जुलाई 1914 को फ्रांसिस फ्रर्डीनेंड की यात्रा के दौरान एक सर्बियन व्यक्ति के द्वारा उनकी हत्या कर दी जाती है। सर्बिया राजकुमार के हत्यारे का बचाव करता है और उस पर कोई कार्यवाही नही करता। इस बात से ऑस्ट्रिया-हंगरी और सर्बिया के मध्य हालात ख़राब हो जाते है।
जर्मनी जो की ऑस्ट्रिया-हंगरी का दोस्त था। वह उससे सर्बिया पर हमला करने के लिए कहता है। बाद में जर्मनी 28 जुलाई 1917 को सर्बिया के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर देता है। इससे सर्बिया डर जाता है क्योंकि जर्मनी उस वक्त यूरोप का सबसे ताकतवर देश था कोई उससे युद्ध नही करना चाहता था।
इस कारण सर्बिया अपने मित्र देश रूस से मदद मांगता है। अब बात रूस और जर्मनी के बीच आ जाती है जिनका इस लड़ाई से कोई लेना देना नही था। रूस, जर्मनी से कहता है कि अगर तुमने सर्बिया पर हमला किया तो तुम्हे हमसे भी युद्ध करना पड़ेगा और ऐसा सुनकर जर्मनी 1 अगस्त को रूस के खिलाफ भी युद्ध की घोषणा कर देता है।
रूस और फ्रांस की भी मित्रता की संधि होती है इसलिए रूस, फ्रांस को बीच में आने के लिए कहता है और फ्रांस भी जर्मनी को धमकाता है और जर्मनी 3 अगस्त को फ्रांस के खिलाफ भी युद्ध की घोषणा कर देता है।
ताकत के नशे में चूर जर्मनी ने 7 दिनों में 3 देशों के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर देता है –
28 जुलाई | जर्मनी ने सर्बिया से युद्ध की घोषणा की |
1 अगस्त | जर्मनी ने रूस से युद्ध की घोषणा की |
3 अगस्त | जर्मनी ने फ्रांस से युद्ध की घोषणा की |
प्रथम विश्व युद्ध के समय यूरोप महाद्वीप का नक्शा

सर्वप्रथम फ्रांस के साथ युद्ध की योजना
फ्रांस और जर्मनी में पहले से ही दुश्मनी होती है इस कारण जर्मनी सबसे पहले फ्रांस से युद्ध करने की योजना बनाता है क्योंकि जर्मनी और रूस के मध्य दूरी बहुत अधिक थी तथा उस समय रूस के पास सबसे बड़ी थल सेना थी। इसलिए वह सबसे पहले फ्रांस को जीतकर अपनी सेना बड़ी करना चाहता था।
फ्रांस के साथ युद्ध से पहले इंग्लैंड का आगमन
जब जर्मनी सबसे पहले फ्रांस के साथ युद्ध करने की योजना बना लेता है तो वह सोचता है कि जर्मनी और फ्रांस के मध्य जो बॉर्डर है हम उससे फ्रांस पर हमला नही करेंगे बल्कि बेल्जियम देश के बीच में से होते हुए फ्रांस में जायेंगे और फ्रांस को आसानी से हरा देंगे।
जब जर्मनी, बेल्जियम से कहता है कि हम आपके देश से होते हुए फ्रांस में जायेंगे तो बेल्जियम डर जाता है क्योंकि उस वक्त बेल्जियम बहुत कमजोर देश था उसे लगा कि फ्रांस से युद्ध के बहाने जर्मनी उस पर कब्ज़ा भी कर सकता था इसलिए वह उसकी मदद करने से मना कर देता है क्योंकि उसे जर्मनी पर भरोसा नही था
ऐसे में बेल्जियम, इंग्लैंड से मदद मांगता है क्योंकि इन दोनों के बीच मित्रता की संधि हुई थी। इंग्लैंड, जर्मनी को पत्र लिखता है की अगर तुमने बेल्जियम को नुकसान पहुँचाया तो तुम्हे हमसे मुकाबला करना पड़ेगा।
ध्यान रहे उस समय यूरोप में सिर्फ 2 ही देश सबसे ज्यादा ताकतवर थे। इंग्लैंड और जर्मनी क्योंकि दोनों देशों के पास आधुनिक हथियार, बम, तोप, विमान और जहाज थे।
ताकत के नशे में चूर जर्मनी 8 अगस्त को इंग्लैंड के खिलाफ भी युद्ध की घोषणा कर देता है।
8 अगस्त | जर्मनी ने इंग्लैंड से युद्ध की घोषणा की |
जर्मनी का फ्रांस पर आक्रमण
जर्मनी सबसे पहले फ्रांस के छोटे-छोटे हिस्सों पर आक्रमण करके उन पर अपना कब्जा कर लेता है। अब जर्मनी, फ्रांस की राजधानी पेरिस पर हमला करके उस पर अपना कब्ज़ा करना चाहता था लेकिन वह ऐसा करता उससे पहले ही रूस जर्मनी पर हमला कर देता है।
प्रथम विश्व युद्ध में रूस का आगमन
रूस जर्मनी के पूर्वी हिस्से पर हमला करता है उस वक्त जर्मनी की सारी सेना पश्चिमी हिस्से पर फ्रांस के साथ युद्ध कर रही थी। जवाब में जर्मनी अपनी बड़ी सेना को रूस से लड़ने के लिए भेज देता है।
जर्मनी को रूस के साथ युद्ध करने में ऑटोमन साम्राज्य (जहाँ आज तुर्की स्थित है) का साथ मिलता है इससे जर्मनी की ताकत बढ़ जाती है और रूस को इस लड़ाई में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ता है। उसके लगभग 3 लाख सैनिक मारे जाते है और बाकि सैनिक भाग जाते है।
प्रथम विश्व युद्ध में अमेरिका का आगमन (6 अप्रैल 1917)
युद्ध को शुरू हुए लगभग 3 साल हो गये थे। लेकिन अभी तक अमेरिका ने इस युद्ध में भाग नही लिया था। वह बस दूर से यह सबकुछ देख रहा था। लेकिन अब कुछ ऐसा घटित होता है जिसके कारण अमेरिका भी इस युद्ध में कूद पड़ता है।
जर्मनी चारों तरफ जीत रहा था इस कारण उसका हौसला सातवे आसमान पर था और अब वह आम नागरिको को भी मारना शुरू कर देता है। जर्मनी ने U-Boat नाम की एक पनडुब्बी बनायीं थी जिसके इस्तेमाल से उसने समुंद्र के किनारे स्थित दूसरे देशों के बंदरगाहों को नष्ट करना शुरू कर दिया और समुंद्र के रास्ते जो भी आम नागरिको के जहाज गुजरते उनको भी नष्ट करना शुरू कर दिया और यही पर वह गलती कर बैठा।
उसने ब्रिटेन (इंग्लैंड) से समुंद्र के रास्ते अमेरिका जाने वाले “लिसुतानिया” नामक जहाज को बम से उड़ा दिया। जिसमे अमेरिका के 1200 से ज्यादा आम नागरिक मारे जाते है। इस घटना के कारण अमेरिका आग बबूला हो जाता है और 6 अप्रैल 1917 अमेरिकी राष्ट्रपति “वुडरो विल्सन” जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर देते है।
प्रथम विश्व युद्ध से रूस का अलग हो जाना (1917)
लगातार 3 वर्षो तक युद्ध करने के कारण रूस की आंतरिक अर्थव्यवस्था गड़बड़ा जाती है क्योंकि युद्ध के दौरान सैनिको पर बहुत सारा पैसा खर्च करना पड़ता था। इस कारण वहां की जनता 1917 में अपनी सरकार के खिलाफ बगावत कर देती है। इसे रूस की 1917 की “बोल्शेविक क्रांति” के नाम से जाना जाता है। नतीजन वहां की सरकार गिर जाती है और वहां लेनिन नामक व्यक्ति नई साम्यवादी सरकार की स्थापना करते है और रूस को इस युद्ध 1917 में बाहर कर लेते है।
प्रथम विश्व युद्ध में धुरी देशों का आत्म-समर्पण (1918)
अमेरिका ने युद्ध में शामिल होते ही चारों तरफ तबाही मचा दी थी उसने पहले जर्मनी पर हमला ना करके उसके मित्र देश ऑटोमन साम्राज्य और ऑस्ट्रिया-हंगरी को पूरी तरह तबाह कर दिया।
इसके बाद जर्मनी युद्ध में अकेला बच गया। जर्मनी की जनता ने भी अपने देश के अंदर युद्ध ख़त्म करने के लिए बगावत कर दी और अंत में जर्मनी ने भी आत्म-समर्पण कर दिया।
अक्टूबर 1918 | तुर्की (ऑटोमन साम्राज्य) ने आत्म-समर्पण किया |
नवम्बर 1918 | ऑस्ट्रिया-हंगरी ने आत्म-समर्पण किया |
11 नवम्बर 1918 | जर्मनी ने आत्म-समर्पण किया |
प्रथम विश्व युद्ध का समापन (11 नवम्बर 1918)
11 नवम्बर 1918 को जब धुरी राष्ट्र आत्म-समर्पण कर देते है तो प्रथम विश्व युद्ध का समापन हो जाता है इस युद्ध में जान-माल का बहुत नुकसान होता है।
प्रथम विश्व युद्ध में भारत
प्रथम विश्व युद्ध के समय भारत पर इंग्लैंड का शासन था। इसलिए भारत ने इंग्लैंड की तरफ से युद्ध में भाग लिया था। भारत के लगभग 8 लाख सैनिको ने इस युद्ध में भाग लिया था जिसमे से लगभग 50 हज़ार सैनिक शहीद हो गये और लगभग 65 हज़ार सैनिक घायल हो गये इस युद्ध के बाद भारत की अर्थव्यवस्था बहुत ख़राब हो गई थी।
भारत के नागरिको को इस युद्ध में भेजने के लिए महात्मा गाँधी ने अभियान चलाया भारतीय नेताओ को आशा थी कि अगर हम इस युद्ध में इंग्लैंड का साथ देते है तो वे हमसे खुश होकर हमें आजाद कर देंगे लेकिन ऐसा नही हुआ बल्कि 1918 में युद्ध खत्म होने के एक साल बाद 1919 में जलियावाला बाग हत्याकांड करके अंग्रेजो ने भारत के मुँह पर तमाचा मारा।
इसके बाद भारत के नेताओ का इंग्लैंड से भरोसा उठ गया। प्रथम विश्व युद्ध का भारत पर यह प्रभाव पड़ा कि इससे भारत की आजादी का आन्दोलन और तेज हो गया।
इस युद्ध में भारत से 1.72 लाख जानवर भी भेजे गये थे जिनमे घोड़े, खच्चर, बेल, ऊंट, दूध देने वाले मवेशी आदि शामिल थे।
प्रथम विश्व युद्ध समाप्ति के बाद
प्रथम विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद दुनिया के लगभग सभी देश मिलकर दुनिया में शांति कायम करने के लिए आपस में मीटिंग करते है और बहुत सारे निर्णय भी लेते है और सभी देशों के बीच बहुत सारी संधियां भी होती है।
प्रथम विश्व युद्ध शुरू करने का जिम्मेदार जर्मनी को ठहराया जाता है और उस पर “वर्साय संधि” के तहत बहुत प्रकार की पाबंधी भी लगा दी जाती है। इन प्रतिबंधो से जर्मनी का एक नागरिक अडोल्फ़ हिटलर परेशान हो जाता है।
अडोल्फ़ हिटलर का जन्म 20 अप्रैल 1889 को हुआ था प्रथम विश्व युद्ध के समय उसकी आयु 25 वर्ष थी। हिटलर सभी प्रतिबंधो से अपने देश को आजाद करवाना चाहता था इसलिए वह द्वितीय विश्व युद्ध शुरू करता है। अतंत: प्रथम विश्व युद्ध की तरह द्वितीय विश्व युद्ध भी जर्मनी के कारण ही शुरू होता है।
वर्साय की संधि : प्रावधान, गुण, दोष
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