जब दुर्योधन ने भीम को धोखे से जहर पिलाया
हस्तिनापुर के राजा पद के लिए धृतराष्ट्र सबसे बड़े राजकुमार थे लेकिन आँखों से अँधा होने के कारण उनके छोटे भाई पांडू को हस्तिनापुर का राजा बना दिया गया। यह बात धृतराष्ट्र को हमेशा परेशान करती रहती थी क्योंकि वो हमेशा राजा बनना चाहते थे।
एक बार पांडू जंगल में शिकार कर रहे थे और गलती से उनका तीर एक ऋषि को लग जाता है और उनकी मृत्यु हो जाती है। इस पाप के पश्चाताप के लिए पांडू, धृतराष्ट्र को राजा का पद सौपकर राजमहल छोड़कर अपनी दोनों पत्नियों के साथ जंगल में रहने चले जाते है और वही पांचो पांड्वो का जन्म होता है।
महाराज पांडू की मृत्यु के बाद पांचो पांडव अपनी माता कुंती के साथ हस्तिनापुर लौट आते है। उस वक्त पांचो पांडवो की उम्र बहुत छोटी थी। पांड्वो का वापस हस्तिनापुर लौटना धृतराष्ट्र और उनके पुत्र दुर्योधन का पसंद नही आता क्योंकि उन्हें लगता है कि अब राज्य का राजा पांडू का बड़ा बेटा युधिष्ठिर को बनाना पड़ेगा इसलिए दुर्योधन गुरुकुल में हमेशा ही पांड्वो से झगड़ता रहता था।
दुर्योधन का मामा शकुनी किसी भी कीमत पर दुर्योधन को ही हस्तिनापुर का राजा बनाना चाहता था इसलिए वह दुर्योधन के दिमाग में बचपन से ही पांड्वो के प्रति जहर घोलता शुरु कर देता है। वह दुर्योधन को समझाता है कि तुम अकेले पांचो पांड्वो से नही लड़ सकते इसलिए तुम्हे छल-कपट से उन्हें एक-एक करके रास्ते से हटाना होगा। वह दुर्योधन को एक तरकीब बताता है।
भीम को खाने-पीने का काफी शोक था। एक दिन गुरुकुल में दुर्योधन भीम के पास जाता है और उसे कहता है कि मेरे पास बहुत सारी खीर है चलो दोनों भाई चलकर उसे खाते है और भीम उसके साथ चला जाता है। खीर खाते ही भीम बेहोश हो जाता है क्योंकि दुर्योधन ने खीर ने जहर मिलाया था। उसके बाद दुर्योधन और दुशासन दोनों मिलकर भीम को गंगा नदी में फेंक देते है।
भीम के काफी समय तक लौटकर नही आने पर राजमहल में संभी लोग चिंतित हो जाते है और सभी लोग भीम को चारों दिशाओं में खोजने का प्रयास करते है।
भीम नदी में डूब जाता है और नाग लोक में पहुँच जाता है। जहाँ भीम को शत्रु समझकर नाग लोक के नाग उसे काट लेते है जैसे ही नाग भीम को काटते है वैसे ही भीम ठीक हो जाता है क्योंकि भीम को दिए गये जहर का असर नागो के जहर से खत्म हो जाता है।
नाग लोक के पहरेदार भीम को पकड़कर नाग लोक के राजा के पास ले जाते है। लेकिन रिश्ते में नाग लोक के राजा, भीम की माता कुंती का नानाजी लगते थे। उन्होंने भीम को कटोरे में पीने के लिए सुधा रस दिया। भीम ने कुल 7 कटोरे सुधा रस पिया, एक कटोरे सुधा रस में 10 हाथियों के बराबर ताकत थी इसलिए भीम में 70 हाथियों के बराबर ताकत हो गई। उसके बाद भीम को वापस हस्तिनापुर भेज दिया जाता है।
भीम के सही सलामत राजमहल लौट आने पर सभी लोग खुश हो जाते है। भीम सारी बात अपनी माता कुंती और बड़े भाई युधिष्ठिर को बताता है लेकिन वो यह बात किसी को भी नही बताते क्योंकि वो नही चाहते कि उन सभी भाईयों में बीच कोई दरार पड़े।
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