भीष्म प्रतिज्ञा : भीष्म पितामह ने भीष्म प्रतिज्ञा क्यों ली
महाभारत में वैसे तो अनेक रोचक कहानिया है लेकिन भीष्म पितामह की प्रतिज्ञा वाली कहानी सबसे अहम और रोचक है क्योंकि अगर भीष्म पितामह ने अगर “भीष्म प्रतिज्ञा” ना ली होती तो शायद महाभारत की घटना कभी घटित ही ना हुई होती लेकिन समय को शायद यही मंजूर था।
भीष्म पितामह के बचपन का नाम “देवव्रत” था। उनकी माता का नाम “गंगा देवी” और पिता का नाम “शांतनु” था। देवव्रत की माता गंगा स्वर्ग में रहती थी इसलिए उनके पिता शांतनु (हस्तिनापुर राज्य के महाराज) को जीवन में अकेलापन महसूस होता था। (हस्तिनापुर राज्य : जिसके अधिकार के लिए कौरवो और पांडवो के मध्य युद्ध हुआ था)
एक दिन महाराज शांतनु जंगल में शिकार कर रहे थे तभी उनकी नजर नदी में नाव चलाने वाली एक सुंदर लड़की “सत्यवती” पर पड़ी। राजा को पहली नजर में ही सत्यवती से प्यार हो गया। जब राजा ने सत्यवती के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा तो सत्यवती ने कहा कि आपको मेरे पिता से बात करनी होगी।
जब राजा शांतनु, सत्यवती का हाथ मांगने उनके पिता “दासराज” के पास गये तो उन्होंने राजा के सामने एक शर्त रखी कि उनकी बेटी के होने वाली संतान को ही आप इस राज्य का उत्तराधिकारी बनायेंगे। राजा को यह बात मंजूर नही थी क्योंकि देवव्रत उनका बड़ा पुत्र है और राज्य के सिंहासन पर पहला अधिकार उसी का है।
उस दिन के बाद राजा काफी दुखी रहने लगे। देवव्रत ने जब उनसे उदासी का कारण पूछा तो उन्होंने कुछ नही बताया लेकिन देवव्रत ने उनके सारथि से उस बात का पता लगा लिया।
तब देवव्रत, सत्यवती के पिता दासराज ने मिलने पहुंचा तो दासराज ने उनको सारी बात बताई। देवव्रत अपने पिता से काफी प्यार और सम्मान करते थे इसलिए अपने पिता कि खुशी के कारण देवव्रत ने प्रतिज्ञा ली कि “मैं जीवनभर विवाह नही करूंगा और हमेशा ब्रह्मचारी रहूँगा तथा महाराजा शांतनु और सत्यवती की होने वाली संतान ही हस्तिनापुर राज्य के सिंघासन पर बैठेगी”
इतनी कठोर (भीष्म) प्रतिज्ञा के कारण ही देवव्रत का नाम भीष्म पड़ा और जब यह बात उनके पिता को पता चली तो उन्होंने भीष्म को “इच्छा मृत्यु” का वरदान दिया (मतलब भीष्म को कोई नही मार सकता वे तभी मरेंगे जब वे ऐसा खुद चाहेंगे) महाभारत युद्ध के समय उन्होंने अपनी मर्जी से प्राण त्यागे थे तब उनकी उम्र करीब 160 वर्ष थी।
तो यह थी महाभारत के सबसे बड़े योद्धा भीष्म पितामह की कहानी। वे उम्र में सबसे बड़े थे इसलिए सभी लोग उनको पितामह कहकर संबोधित करते थे।
nice mane apke sabhi post padhe mujhe bahut accha laga
Thanks ganesh