महाभारत के अर्जुन को नर्क क्यों जाना पड़ा था
आमतौर पर अर्जुन को महाभारत का नायक माना जाता है लेकिन अर्जुन की महानता में श्री कृष्ण का बहुत बड़ा हाथ था। ऐसे बहुत सारे मौके आये जब श्री कृष्ण ने अर्जुन की रक्षा की और सही मार्गदर्शन किया। अर्जुन के जीवन में बहुत सारे मौके ऐसे भी आये जब वे बिल्कुल कमजोर पड़ गये थे। चलिए अब मैं आपको उन सभी मौको के बारे में विस्तार से बताता हूँ।
1. द्रोणाचार्य सभी पांडवो और कौरवो के गुरु थे। अर्जुन अपने गुरु द्रोणाचार्य का सबसे प्रिय शिष्य था। उन्होंने अर्जुन को संसार का सबसे महान धनुर्धर बनाने का वादा किया था लेकिन एकलव्य नामक युवक अर्जुन से भी महान धनुर्धर था। उसने द्रोणाचार्य की प्रतिमा को अपना गुरु बनाकर धनुर्विद्या सीखी थी।
द्रोणाचार्य नही चाहते थे कि वह अर्जुन से महान धनुर्धर बने इसलिए गुरु दक्षिणा में उन्होंने एकलव्य से उसके दाहिने हाथ का अंगूठा मांग लिया। इस पर द्रोणाचार्य अपने आप को सही ठहराते हुए तर्क देते है कि एकलव्य ने शिक्षा ली नही थी बल्कि चुराई थी। क्योंकि उसने मुझे बिना पूछे ही अपना गुरु बना लिया बल्कि मैंने उसे कभी अपना शिष्य माना ही नही था।
अगर एकलव्य के साथ ऐसा ना होता तो शायद महाभारत कि कथा कुछ और होती।
2. कर्ण भी अर्जुन से महान धनुर्धारी था। महाभारत के युद्ध में कर्ण ने अर्जुन के छक्के छुड़ा दिए थे लेकिन श्री कृष्ण के कहने पर उसने कर्ण को युद्ध के नियमो के खिलाफ जाकर धोखे से मारा था। अर्जुन, कर्ण को हमेशा सूतपुत्र (सारथी का पुत्र) कहकर उसका मजाक उड़ाता था।
3. अर्जुन अपनी पत्नी द्रौपदी को तीरंदाजी की प्रतियोगिता में अपने लिए जीतते है। वे द्रौपदी को अपनी माता से मिलवाने के लिए ले जाते है और अपनी माता कुंती से कहते है देखो माँ, मैं क्या लेकर आया हूँ और माता कुंती बिना देखे ही बोलती है जो भी लाये हो उसे अपने सभी भाईयों में बराबर बाँट दो। वे अपनी पत्नी को सभी भाईयों में बाँटने में भी संकोच नही करते।
4. अर्जुन चित्रांगदा और श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा से भी विवाह करते है लेकिन अपनी दूसरी पत्नियों को कभी भी अपनी पहली पत्नी द्रौपदी से मिलवाने का साहस नही कर पाते।
5. जब युधिष्ठिर कौरवो के साथ जुए में अपना सम्पूर्ण राज्य और अपनी पत्नी द्रौपदी को भी हार जाते है तब अर्जुन अपनी पत्नी द्रौपदी का भरी सभा में चीर हरण होने से नही रोक पाते। उस समय भगवान कृष्ण ही द्रौपदी की मदद करते है।
6. कुरुक्षेत्र का युद्ध शुरू होने से पहले ही अर्जुन हिम्मत हार जाते है। वे कहते है कि मैं अपने भाईयों और अपने परिवार के सदस्यों को नही मार सकता। उसी समय श्री कृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश देते है।
7. महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण अर्जुन के सारथी बनकर उन्हें दिशा निर्देश देते है। श्री कृष्ण की मदद से ही अर्जुन भीष्म, जयद्रथ और कर्ण को मार पाते है। महाभारत के युद्ध में वे एक भी कौरव का वध नही कर करते बल्कि सभी कौरवो को भीम ही मारते है।
8. युद्ध में एक ऐसी स्थिति भी आ जाती है जब युधिष्ठिर और अर्जुन के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हो जाता है तब श्री कृष्ण ही दोनों के बीच सुलह करवाते है।
कहा जाता है कि अर्जुन बहुत घमंडी थे और दूसरे तीरंदाजो को हमेशा नीचा दिखाते थे। इस कारण मृत्यु के बाद उन्हें नर्क में जगह मिलती है।
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बहुत ही बढ़िया कथानक