महात्मा गांधी की जीवनी
आज आपको महात्मा गांधी की जीवनी के बारे में विस्तार से बताएँगे
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था दुनिया उन्हें महात्मा गांधी के नाम से जानती है
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महात्मा गांधी की जीवनी
भारत की आजादी में महात्मा गांधी का बहुत बड़ा योगदान है गांधीजी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख व्यक्ति थे
महात्मा गांधी के जीवन को अगर एक शब्द में परिभाषित करें तो वह होगा “संघर्ष” संघर्ष हिंसा के विरुद्ध, भूखमरी के विरुद्ध, गुलामी के विरुद्ध, गरीबी के विरुद्ध, अंग्रेजों के विरुद्ध तथा भारत को आजाद करवाने का संघर्ष
संस्कृत भाषा में महात्मा का मतलब होता है “महान आत्मा” गांधी जी को महात्मा की उपाधि “राजवैध जीवराम कालिदास” ने दी थी
महात्मा गांधी को “बापू” के नाम से भी जाना जाता है सुभाष चंद्र बोस ने रंगून रेडियो से सर्वप्रथम महात्मा गांधी को “राष्ट्रपिता” कहकर संबोधित किया था
गांधीजी ने जीवन भर अहिंसा तथा सत्य का पालन किया तथा सभी लोगों से भी ऐसा ही करने का आग्रह किया
गांधी जी ने अपना पूरा जीवन अंग्रेजों से आजादी दिलाने, किसानों, मजदूरों और श्रमिकों के हितों की रक्षा करने, गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार करने तथा धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण करने में लगा दिया
महात्मा गांधी का जन्म तथा बचपन
महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के “पोरबंदर” शहर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था
उनके पिता का नाम “करमचंद गांधी” तथा माता का नाम “पुतलीबाई” था
इनके पिता ब्रिटिश राज के समय काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत पोरबंदर के दीवान (प्रधान) थे
गुजराती भाषा में गांधी शब्द का अर्थ होता है “पंसारी” तथा हिंदी भाषा में इसका अर्थ होता है “फूल बेचने वाला”
पुतलीबाई करमचंद गांधी की चौथी पत्नी थी उनकी पहली तीन पत्नियों का देहांत हो गया था
गांधी जी की माता भक्ति भाव तथा पूजा पाठ करने में काफी विश्वास रखती थी शाकाहारी जीवन जीना तथा आत्म शुद्धि के लिए व्रत रखना आदि को बढ़ावा देती थी इन सब बातों का गांधी जी पर काफी प्रभाव पड़ा
महात्मा गांधी का परिवार
महात्मा गांधी का विवाह 13 वर्ष की आयु में ही 14 वर्ष की कस्तूर बाई मकनजी से कर दिया गया था उस समय बाल विवाह का काफी प्रचलन था
गांधीजी ने अपनी पत्नी का नाम छोटा करके “कस्तूरबा” कर दिया
गांधी जी जब 15 वर्ष के थे तब उनकी पहली संतान ने जन्म लिया लेकिन केवल कुछ दिन ही जीवित रही और उसी साल 1885 में गांधी जी के पिता का देहांत हो गया
गांधीजी तथा कस्तूरबा देवी के चार संतानें हुई जो सभी पुत्र थे
- हरीलाल गांधी 1888
- मणिलाल गांधी 1892
- रामदास गांधी 1896
- देवदास गांधी 1900
महात्मा गांधी की शिक्षा तथा वकालत
महात्मा गांधी ने पोरबंदर से मिडिल तथा राजकोट से हाई स्कूल पास की थी गांधी जी औसत दर्जे के छात्र थे
4 सितंबर 1988 को गांधीजी यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में वकालत की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए
विदेश जाने से पहले उन्होंने अपनी माता को वचन दिया था कि वह कभी भी मांस, शराब तथा संकीर्ण विचारधारा को नहीं अपनाएंगे
इंग्लैंड में उन्होंने शाकाहारी समाज की सदस्यता ग्रहण की वे जिन शाकाहारी लोगों से मिले उनमें से कुछ थियोसोफिकल सोसायटी के सदस्य थे
थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना 1875 में भाईचारे को प्रबल करने के लिए की गई थी
महात्मा गांधी के स्वतंत्रता आंदोलन (1916-1945)
सन 1894 में कानूनी विवाद के संबंध में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका गए थे जहां उन्हें भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव का सामना करना पड़ा
गांधीजी 1915 में वापस भारत लौट आए
भारत लौटने के बाद गांधीजी ने भारत में अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाने तथा देश को आजाद करवाने के लिए अनेक आंदोलन किए जो कि निम्न है
- चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह 1918
- खिलाफत आंदोलन 1919
- असहयोग आंदोलन 1920
- सविनय अवज्ञा आंदोलन, नमक सत्याग्रह आंदोलन, दांडी यात्रा 1930
- भारत छोड़ो आंदोलन 1942
चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह 1918
चंपारण सत्याग्रह
भारत के लोग अपनी पारंपरिक खेती करते थे लेकिन अंग्रेजों ने उन्हें नील की खेती करने के लिए विवश किया क्योंकि नील को अंग्रेज सस्ते दामों में खरीद कर अपने देश भेजते थे
अंग्रेज नील का प्रयोग कपड़ों को रंगने में करते थे जैसे ऊनी कपड़े, सिल्क के कपड़े तथा कॉटन के कपड़े
नील की खेती करने से भारतीयों के सामने खाने की समस्या पैदा होने लगी इसके विरोध में गांधी जी ने चंपारण नामक स्थान पर अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन चलाया अंत में अंग्रेजों को उनके सामने झुकना पड़ा
खेड़ा सत्याग्रह
सन 1918 में गुजरात के खेड़ा नामक स्थान पर बाढ़ आ गई फसलें चौपट होने के कारण भारतीय किसान टैक्स भरने असमर्थ थे
इसलिए गांधी जी ने किसानों को टैक्स में छूट दिलाने के लिए अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन चलाया
अंत में ब्रिटिश सरकार को अपने टैक्स संबंधी नियमों में बदलाव करना पड़ा
खिलाफत आंदोलन (1919-1924)
यह धार्मिक आंदोलन था जो कि भारतीय मुसलमानों के द्वारा चलाया गया था जिसने बाद में जाकर राजनीतिक रूप धारण कर लिया
अंग्रेजों ने तुर्की के अंदर “खलीफा” के पद को समाप्त कर दिया था खलीफा का मतलब “राजा” होता है मतलब कि वहां अब अपने ही देश के राजा का अधिकार ना होकर अंग्रेजों का अधिकार होगा
इसके विरोध में सभी मुसलमानों ने मिलकर खिलाफत आंदोलन की शुरुआत किया इनका मुख्य उद्देश्य तुर्की में खलीफा के पद्ध को फिर से स्थापित करना था
1919 में खिलाफत आंदोलन शुरू करने का श्रेय शौकत अली तथा मोहम्मद अली को जाता है आगे चलकर गांधीजी भी इस आंदोलन में शामिल हो गए
23 नवंबर 1919 को खिलाफत आंदोलन का प्रथम सम्मेलन हुआ था जिसकी अध्यक्षता गांधीजी ने की थी
गांधीजी भारत की आजादी की लड़ाई में हिंदू तथा मुसलमानों को एक साथ करना चाहते थे इसी कारण उन्होंने इस आंदोलन में हिस्सा लिया
फरवरी 1920 में हिंदू तथा मुसलमानों का एक मंत्रिमंडल वायसराय से मुलाकात करता है लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकलता
अंग्रेजों ने 1920 में सेम्ब्रिज़ संधि के द्वारा तुर्की का विभाजन कर दिया इसके विरोध में गांधीजी ने अंग्रेजो को आंदोलन करने की चेतावनी दे डाली
असहयोग आंदोलन (1920-1922)
इस प्रकार खिलाफत आंदोलन आगे चलकर असहयोग आंदोलन में बदल गया 1 अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन की शुरुआत की गई तथा गांधीजी ने इसका कार्यभार संभाला
असहयोग आंदोलन का मुख्य उद्देश्य भारतीय लोगों के द्वारा अंग्रेजों का हर तरीके के सहयोग को बंद कर देना था गांधी जी का कहना था कि भारतीय सहयोग के कारण ही अंग्रेज भारत पर शासन करते हैं अगर हम उनका सहयोग नहीं करेंगे तो उनकी भारत पर पकड़ कमजोर हो जाएगी
असहयोग आंदोलन को शुरू करने के मुख्य कारण
(i) प्रथम विश्वयुद्ध
प्रथम विश्वयुद्ध 28 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 के मध्य लड़ा गया
अंग्रेजों ने भारतीय सैनिकों को इंग्लैंड की तरफ से लड़ाई करने के लिए भेजा
भारतीय लोगों ने कहा कि वे तभी अंग्रेजों का सहयोग करेंगे जब वे भारत को आजाद कर देंगे तब अंग्रेजों ने ऐसा करने के लिए हां कर दी और युद्ध खत्म होने के बाद मुकर गए
(ii) रोलेट एक्ट 1919
ऐसा कानून जो किसी भी भारतीय को 2 वर्ष तक कैद करने की अनुमति देता है बिना किसी कोई कार्यवाही करे
(iii) जलियांवाला बाग हत्याकांड
13 अप्रैल 1919 को पंजाब के अमृतसर शहर मैं कुछ भारतीय लोग सभा कर रहे थे इस सभा पर अंग्रेज अफसर जनरल डायर ने भारतीयों पर अंधाधुंध गोलियां चला दी जिससे हजारों लोग मारे गए
असहयोग आंदोलन का मुख्य उद्देश्य
- सरकार का असहयोग कर सरकारी तंत्र को ठप करना
- सरकारी उपाधियों का त्याग करना
- सरकारी स्कूलों, कॉलेजों का बहिष्कार करना
- चुनाव बहिष्कार, विदेशी माल का बहिष्कार
- स्वदेशी का प्रचार, चरखा तथा हथकरघा को प्रोत्साहन
5 फरवरी 1922 को हुई चोरी चोरा का घटना के बाद गांधीजी ने नाराज होकर असहयोग आंदोलन को समाप्त कर दिया
चोरी चोरा कांड
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चोरी चोरा गांव में कांग्रेस के जुलूस को पुलिस ने रोकना चाहा तो जनता ने थाने में आग लगा दी इस घटना की गांधीजी भारत के लोगों से नाराज हो गए
सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930)
सविनय अवज्ञा आंदोलन गांधी जी की दांडी यात्रा से आरंभ हुआ था 12 मार्च 1930 को गांधीजी ने पैदल यात्रा आरंभ की और 6 अप्रैल 1930 को डांडी के निकट समुद्र तट पर पहुंचे
वहां पहुंचकर उन्होंने नमक बनाया और नमक कानून को भंग किया
यह आंदोलन पूरे देश में आग की तरह फैल गया सरकार ने इसे रोकने के लिए गांधीजी सहित अनेक लोगों को जेल में बंद कर दिया
सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने के कारण
- अंग्रेजों ने नमक कानून बनाया जिसके तहत कोई भी भारतीय अंग्रेजों की अनुमति के बिना नमक नहीं बना सकता था
- साइमन कमीशन में किसी भी भारतीय को प्रतिनिधिमंडल में शामिल नहीं किया था
- अंग्रेजों ने नेहरू रिपोर्ट के तहत भारतीयों को अच्छी स्थिति देने से इनकार कर दिया
- बदरौली के किसान आंदोलन 1928 से प्रेरणा लेकर गांधी जी ने इस आंदोलन को शुरू किया
भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
भारत छोड़ो आंदोलन अंग्रेजों से आजादी के लिए सबसे बड़ा आंदोलन था
अप्रैल 1942 में क्रिप्स मिशन की असफलता के बाद भारतीय लोगों ने तीसरा जन आंदोलन शुरू किया जिसे भारत छोड़ो आंदोलन के नाम से जाना जाता है
8 अगस्त 1942 को मुंबई में हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में यह प्रस्ताव पास हुआ
9 अगस्त 1942 को द्वितीय विश्व युद्ध के समय भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया गया इसे अगस्त क्रांति भी कहा जाता है क्योंकि यह अगस्त में शुरू किया गया था
महात्मा गांधी ने इसी आंदोलन में “करो या मरो” का संदेश दिया था इस आंदोलन का लक्ष्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था
गांधी जी की मृत्यु
भारत को आजाद करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महात्मा गांधी की दिल्ली के बिड़ला हाउस में शाम 5:00 बजे के करीब गोली मारकर हत्या कर दी
महात्मा गांधी की हत्या करने वाले व्यक्ति का नाम नाथूराम गोडसे था गांधीजी के सीने में 3 गोलियां लगी थी
महात्मा गांधी के जीवन के 20 अनमोल विचार
- व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित प्राणी है जो सोचता है वही बन जाता है
- हमेशा अपने विचार, शब्दों और कर्म के पूर्ण सामंजस्य का लक्ष्य रखें
- आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी
- थोड़ा सा अभ्यास बहुत सारे उपदेशों से बेहतर है
- खुद में वह बदलाव कीजिए जो आप दुसरो में देखना चाहते हैं
- पहले वह आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वह आप पर हसेंगे, फिर वह आप से लड़ेंगे और तब आप जीत जायेंगे
- ख़ुशी तब मिलेगी जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं सामंजस्य में हो
- जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है
- अपनी गलती को स्वीकार करना झाड़ू लगाने के समान है जो सतह को चमकदार और साफ कर देती है
- मैं मरने के लिए तैयार हूं लेकिन ऐसी कोई वजह नहीं है जिसके लिए मैं मारने के लिए तैयार हूं
- मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है सत्य मेरा भगवान है अहिंसा उसे पाने का साधन
- मेरा जीवन ही मेरा संदेश है
- साथ घनघोर पाप : काम के बिना धन, अंतरात्मा के बिना सुख, मानवता के बिना विज्ञान, चरित्र के बिना ज्ञान, त्याग के बिना पूजा, नैतिकता के बिना व्यापार, सिद्धांत के बिना राजनीति
- मैं किसी को भी अपने गंदे पैर के साथ मेरे मन से नहीं गुजरने दूंगा
- मेरी अनुमति के बिना कोई भी मुझे ठेस नहीं पहुंचा सकता
- पाप से घृणा करो पापी से नहीं
- तुम जो भी करोगे वह नगण्य होगा लेकिन यह जरूरी है कि तुम वह करो
- आप मुझे जंजीरों में जकड़ सकते हैं, यातना दे सकते हैं यहां तक कि आप इस शरीर को नष्ट कर सकते हैं लेकिन आप मेरे विचारों को कैद नहीं कर सकते
- जिस दिन प्रेम की शक्ति, शक्ति के प्रेम पर हावी हो जाएगी दुनिया में अमन और शांति आ जाएगी
- हो सकता है कि आप कभी यह नहीं जान सके कि आपके काम का क्या परिणाम हुआ लेकिन यदि आप कुछ करोगे नहीं तो कोई परिणाम नहीं होगा