बिजली बनाने के 9 तरीके
वर्तमान में बिजली के बिना हम जीवन यापन करने का सोच भी नही सकते। आज के समय छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा उपकरण बिजली से चलता है जैसे टीवी, कंप्यूटर, ट्रेन, कूलर, पंखे, रोड लाइट सिग्नल और मोबाइल चार्ज करने के लिए भी बिजली कि जरुरत होती है। हम दिन रात घर तथा ऑफिस में बिजली का इस्तेमाल करते है लेकिन क्या आपने सोचा है कि इतनी बिजली आती कहा से है और बिजली कैसे बनती है।
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बिजली कैसे बनती है
सबसे पहले मैं आपको आसान भाषा में समझाता हूं कि बिजली कैसे बनती है। फैराडे नामक वैज्ञानिक के सिद्धांत के अनुसार जब दो बड़े शक्तिशाली चुंबको के मध्य किसी कुंडली पर तांबे के तार को लपेटकर घुमाया जाता है तो तांबे के तार में बिजली पैदा हो जाती है।
यह कुंडली साफ्ट के द्वारा टरबाइन से जुड़ी होती है बिजली बनाने के लिए इसी टरबाइन को घुमाना पड़ता है।
टरबाइन क्या होता है तथा इस टरबाइन को घुमाने के लिए कौन-कौन से तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं यह जानने के लिए पूरा लेख पढ़िए।
टरबाइन क्या होता है
एक लोहे की मोटी साफ्ट पर बहुत सारे पंखे लगे होते हैं इसे ही टरबाइन कहते हैं। जब इन पंखों से पानी, हवा या गर्म भाप आदि टकराते हैं तो ये पंखे घुमने लग जाते हैं और जब टरबाइन घूमता है तो इसकी साफ्ट के साथ जुडी कुंडली भी घुमने लग जाती है। और बिजली बनाना शुरु हो जाती है।
टरबाइन को हाथ से घुमाने पर बिजली नहीं बनेगी क्योंकि इसे बहुत तेजी से घुमाना पड़ता है।
अल्टरनेटर क्या होता है
बिजली घर में जनरेटर (जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है) के द्वारा बिजली का उत्पादन किया जाता है।
जनरेटर के अन्दर के भाग को ही अल्टरनेटर कहा जाता है इसमें दो शक्तिशाली चुम्बक होते है और चुम्बको के मध्य एक कुंडली होती है जिस पर तांबे के तार लपेटे हुए होते है।
बिजली का उत्पादन अल्टरनेटर के अन्दर ही होता है।
बिजली बनाने के अलग-अलग तरीके
जैसा कि मैंने आपको बताया कि बिजली बनाने के लिए शक्तिशाली चुंबक में मौजूद कुंडली को घुमाना पड़ता है जो कि टरबाइन के साथ जुडी होती है टरबाइन को घुमाने के बहुत सारे तरीके होते हैं। चलिए एक-एक करके मैं उन सभी तरीकों के बारे में आपको विस्तार से बताता हूँ।
1. पानी के द्वारा बिजली उत्पादन (Hydro Electric Power Plant)
पानी के द्वारा बिजली उत्पादन करने के लिए नदियों पर बांध बनाकर पानी को स्टोर किया जाता है उसके बाद उस पानी को ऊंचाई से पाइप के द्वारा टरबाइन पर गिराया जाता है और जो बिजली बनती है उसे तारों के द्वारा दूसरे स्थान पर पहुंचाया जाता है। बिजली बनने की प्रक्रिया 24*7 चलती रहती है।
2. कोयले के द्वारा बिजली उत्पादन (Thermal Electric Power Plant)
जिन स्थानों पर नदियों पर बांध नहीं बनाया जा सकता वहां कोयले के द्वारा पानी को गर्म करके उसके भाप को तेजी से टरबाइन पर डाला जाता है जिससे बिजली बनती है।
पानी को गर्म करने के लिए कोयले का इस्तेमाल किया जाता है पानी गर्म होने पर बाद भाप में बदल जाता है भाप का तापमान 500 से 1000 डिग्री सेंटीग्रेड के मध्य होता है।
टरबाइन से गुजरने के बाद भाप को फिर से ठंडा करने करके पानी बना लिया जाता है। फिर उसी पानी को दोबारा से इस्तेमाल किया जाता है।
कोयले के जलने के कारण चिमनी से जो जहरीला धुंआ निकलता है उसमे से “इलेक्ट्रो स्टेटिक प्रोपुलेशन” यंत्र के द्वारा हानिकारक पदार्थों को अलग कर दिया जाता है तथा कम हानिकारक धुँआ आसमान में छोड़ दिया जाता है।
3. पवन चक्की के द्वारा बिजली उत्पादन
कुछ स्थानों पर जहाँ सालभर तेज हवाएं चलती हैं और पानी की कमी होती है वहां पवन चक्की के द्वारा बिजली का उत्पादन किया जाता है।
बड़े-बड़े लोहे के खंभों पर बड़े-बड़े पंखे लगाए जाते हैं जिन्हें पवन चक्की कहते हैं। हवा चलने पर ये पंखे घूमते हैं और टरबाइन को भी घुमाते हैं जिससे बिजली बनती है।
4. डीजल के द्वारा बिजली उत्पादन
घरों के अंदर शादी तथा पार्टियों में जनरेटर का इस्तेमाल किया जाता है यह जनरेटर डीजल के द्वारा चलता है।
डीजल के द्वारा इंजन स्टार्ट किया जाता है और यह इंजन चुम्बको के मध्य स्थित कुंडली को घुमाने का काम करता है और इससे बिजली बनती है।
5. सौर ऊर्जा के द्वारा बिजली उत्पादन
सूर्य के द्वारा बिजली उत्पादन करने की प्रक्रिया को सौर ऊर्जा कहा जाता है। सोलर प्लेट पर सीधे सूर्य कि किरणे पड़ने पर बिजली बनती है इस बिजली को बैटरी के द्वारा स्टोर कर लिया जाता है और इससे घरेलु उपकरण जैसे कूलर, पंखा, टयूबलाइट आदि चला सकते है।
6. भूतापीय उर्जा (जियो थर्मल पावर प्लांट)
भूतापीय ऊर्जा के द्वारा बिजली उत्पादन करना एक नई तकनीक है भूतापीय उर्जा या जियो थर्मल पावर प्लांट का मतलब होता है भूमि के अंदर मौजूद ज्वालामुखी से उत्पन्न उर्जा से बिजली बनाना।
जिस स्थान पर ज्वालामुखी निकलता है वहां जमीन में गड्ढा खोदा जाता है और उस ऊर्जा का प्रयोग बिजली बनाने में करते है।
ज्वालामुखी का तापमान लगभग 1000 से 1500 डिग्री सेंटीग्रेड होता है न्यूजीलैंड, इटली तथा जापान में इस तकनीक से बिजली का उत्पादन किया जा रहा है।
7. न्यूक्लियर ऊर्जा के द्वारा बिजली उत्पादन
इस प्रकार के बिजली घरों में न्यूक्लियर ऊर्जा से बिजली बनाई जाती है इसके लिए यूरेनियम 235 का इस्तेमाल करते हैं।
1 किलो यूरेनियम से उत्पन्न ऊष्मा कि मात्रा 2700 क्विंटल कोयले से उत्पन्न ऊष्मा के बराबर होती है यूरेनियम के द्वारा प्राप्त ऊर्जा से पानी गर्म करके बिजली बनाई जाती है।
भारत में न्यूक्लियर पावर प्लांट तारापुर तथा रावतभाटा में स्थापित किए गए हैं।
8. नेचुरल गैस पावर प्लांट
जिस प्रकार कोयले को जलाकर पानी को भाप में बदला जाता है उसी प्रकार नेचुरल गैस पावर प्लांट में नेचुरल गैस के द्वारा पानी को गर्म करके भाप में बदला जाता है और फिर उससे टरबाइन को घुमाया जाता है और बिजली बनाई जाती है
नेचुरल गैस जमीन से निकली जाती है जिसकी मात्रा बहुत कम होती है इसलिए नेचुरल गैस पावर प्लांट अभी इतने विकसित नहीं हुए हैं।
9. बायोमास गैस पॉवर प्लांट
बायोमास गैस पॉवर प्लांट में बायो गैस का इस्तेमाल करके पानी को गर्म किया जाता है बायोगैस पेड़ पोधो कि पत्तियों, जानवरों के अवशिष्ट पदार्थो से बनती है।
ट्रांसफार्मर क्या काम करता है
पॉवर प्लांट में जो बिजली बनायीं जाती है वह बहुत ही उच्च वोल्टेज कि होती है लेकिन घरो में 240 वोल्ट कि बिजली काम में ली जाती है।
ट्रांसफार्मर के द्वारा हाई वोल्टेज को low वोल्टेज तथा low वोल्टेज को हाई वोल्टेज में बदला जा सकता है।
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में आपने जाना कि बिजली कैसे बनती है बिजली घरो में जो बिजली बनाई जाती है वह बहुत ही उच्च वोल्टेज कि होती है और तारो के द्वारा इसे एक स्थान से दुसरे स्थान पर ट्रान्सफर किया जाता है।
आज भी अधिकतर बिजली का उत्पादन कोयले तथा पानी के द्वारा किया जाता है क्योंकि इनसे बिजली उत्पादन करना सस्ता पड़ता है।
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